खून से लथपथ थे लाशो के ढेर ,
अपनों को धुंडू किसी अपने बगैर ,
जमीं मेरी सरकी मेरे पैरो के निचे ,
तभी कोई हलके मेरे पैर खीचे ,
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.................... हल्की सी आहट थी हल्की सी तान ,
.................... नन्ही सी जां में ना थी इतनी जान ,
.................... पैरो पे अपने कभी चल ना पाती ,
.................... मासूम सी बच्ची को येही सजा थी l
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.................... मासूम सी बच्ची को येही सजा थी l
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हाथो में सर था लथपथ लहू से ,
जीती थी गोली किसी जिंदगीसे ,
मेरा आंसू जाके लहू में गया मिल ,
कभी वो भी था मेरे अपनों में शामिल l
;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;; अतुल राणे ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;